कबीर और कबीर की वाणी

कबीर और कबीर की वाणी


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 " वाणी तो अनमोल है,जो कोई बोलै जानि।हिय तराजू तौलि के,तब मुख बाहर आनि।"
"कागा काको धन हरे, कोयल काको देय,
मीठे बचन सुनाई के जग अपनो करी लेय।"


आपको नहीं लगता, कबीर के इन पदों में सम्पूर्ण विश्व की शांति और सुकून समाहित है?

आज धर्म का उन्माद, जाति का उन्माद, श्रेष्ठता का उन्माद, उच्चता का उन्माद, कुल का उन्माद, वंश का उन्माद और ना जाने ऐसे कई  उन्माद हैं जो मानव जाति की श्रेष्ठता  की जड़ों को खोखला कर रहें हैं।जब हम कुछ बोलते हैं तो उसे ह्रदय- रूपी तराजू में तौलना भूल जाते हैं ।और  यही अपरिष्कृत बिना तौला हुआ शब्द, मानव समाज में जहर घोलने का कार्य शुरू कर देते हैं। जिसने वाणी को तौलने की कला सीख ली वह  कई दुख और द्वंदों से तो बचता हीं है। समाज में उसकी छवि एक आदर्श पुरुष की भूमिका में होने लगती है।

कबीर साहब ने अपने दूसरे पद में इसी परिष्कृत वाणी और अपरिष्कृत वाणी का जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है इसे बड़ी ही सुंदर उदाहरण के द्वारा समझाया है। वे कहते हैं -'कागा काको धन हरे' -कौवा यदि दरवाजे पर बैठकर कर्कश वाणी में कांव-कांव करता है तो भला किस के धन का हरण कर लेता है ।परंतु फिर भी हम उसे तत्काल ही अपने दरवाजे से भगाने की चेष्टा करते हैं। वहीं दूसरी ओर कोयल अपनी मीठी वाणी से हमारे घर में धन- संपदा और वैभव तो नहीं भर देती है। फिर भी हमारी इच्छा होती है कि वह वैसे ही अपनी  मीठी ध्वनि से प्रकृति को गुंजायमान करती रहे।यही तो है, मीठी वाणी का जादू कि हम स्वयं भी दूसरे के अपने बन जाते हैं और दूसरों को भी अपना बना लेते हैं। इसी को तो कहते हैं जग को अपना बना लेना। तो कबीर की दूसरी पंक्ति'-मीठे बचन  सुनाई के जग अपनो करी लेय।का मर्म भी गुढ़ होते हुए भी कितना स्पष्ट है।

ईश्वर की इच्छा से अभी हम सबों के जीवन में एक ऐसा समय आया है , जब हमारा पूरा परिवार एक साथ, एक छत के नीचे रह रहा है। यह एक ऐसा सुअवसर है जब हम अपनी मीठी वाणी के द्वारा, अपने पूरे परिवार में, एक दूसरे के प्रति प्रेम को बढ़ा सकते हैं। उन रिश्तों से भी धूल को हटा सकते हैं जो नज़दीकियों के अभाव में धूल -धूसरित हो गईं थीं। पर यहां हमें मन से सावधान रहने की आवश्यकता होगी, मन कहेगा अगला मीठा बोलेगा तभी तो मैं मीठा बोलूंगी। पर नहीं, हमें बिना शर्त, अनवरत मीठे वचन ही बोलने हैं। आप यकीन मानिए इसका परिणाम निश्चय ही सुखद होगा। हां, यह अवश्य है कि किसी को परिणाम तत्काल मिलेगा और किसी को थोड़ी प्रतीक्षा करनी होगी। पर परिणाम हमेशा सकारात्मक ही होगा इसका पूर्ण विश्वास हमें रखना होगा क्योंकि यही सत्य है।

                 तो आइए कबीर के इन जादुई पदों को अपने जीवन में धारण करके अपने जीवन रूपी बगिया को संवार कर विश्व -प्रांगण में महका दें।

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